अपनी कविताओं पर बात
करना, बहुत अच्छा नहीं लगता है। मुझे पता है कि मैं कवि नहीं बन पाया हूँ,
लेकिन अपनी कविताओं के अलक्षित रह जाने का मुझे भी बहुत दर्द है!
इसी दर्द के कारण आलोचकों से मेरी भी लगभग वही शिकायत है, जो
आम तौर पर कवियों की होती है। मैं मानता हूँ कि आलोचकों
से किसी भी तरह की शिकायत का न तो मुझे हक है और न यह मुझे शोभता है। फिर! कुछ
कविताओं के लिंक दे रहा हूँ कि क्या पता शायद किसी को अच्छी लग ही जाये! अच्छी नहीं लगने पर भी जो अपनी राय देंगे, मैं उनके प्रति सदा आभारी रहूँगा…