ठीक नहीं जी, हाँ ठीक नहीं


ठीक नहीं जी
हाँ ठीक नहीं
रविभक्षियों में है उत्साह
साहेब और साहे के साह
ता-ता-थै थैया थैया-थैया
नाच रहे हैं किसन कन्हैया

यह माना गहन अँधेरा है
यह भी कि दूर सबेरा है
पर चुप्पा-चुप्पी ठीक नहीं
माथे पर धर हाथ बैठना
चुप रहना और सब सहना
ठीक नहीं जी, हाँ ठीक नहीं


ठीक नहीं जी, हाँ ठीक नहीं .pdf

कोई टिप्पणी नहीं: