क्यों गंधमादन रोज दस्तक देता है
किसके
होने से कच्चे सपनों की मादक
महक मुझे दीवाना बना देती है
किसकी
तलाश में मेरे आकाश का चाँद
बादलों में सारी रात भटकता
है
किसकी
पुकार पर खुशगवार चाँदनी मेरी
आँखों में नंगे पाँव टहलती
है
कौन
है जिसके पूरा होने के बाद भी
भीतर सब कुछ अधूरा रह जाता है
कहो
तो,
कह
दूँ कि क्यों जख्मी पाँवों
से मेरी धरती झमाझम नाचती है
फटे
हुए सपनों के उस्ताद रफूगर
इन दिनों मुझे हरदम याद बहुत
आते हैं
याद
बहुत आते हैं,
मचलते
हुए वे ख्वाबों के गीतों में
ढल जाने के दिन
झिलमिलाते
सितारों से सजे मेरे अपने आकाश
के महफिल में उड़ते हुए
फूलों
से सजे बेखौफ नीले दुपट्टे
में मुँह छिपाकर खिलखिलाने
के दिन
बे-दिल
दुनिया को ब द ल देने के हौसलों
के मंद-मंद
गुनगुनाने के दिन
अपने
ही मलवे पर खड़े होकर फिर से
सजने-सँवरने
के हौसले के दिन
तुम्हारी
महकती मुस्कान चुराकर अपने
आसमान में फूल उगाने के दिन
रंगों
के,
रौशनी
के,
सपनों
के,
हौसलों
के,
फूलों
के,
जुट
जाने के दिन
कैसे
कह दूँ कि तुम्हारे पास होने
के बाद भी दिल क्यों उदास हो
जाता है
मैंने
बिहँसते फूलों के रुखसार पर
सपनों को फिर-फिर
सँवरते हुए देखा है
मैंने
यौ-वन
के सपनों में खोए हुए यकीन को
हौले-से
उतरते हुए देखा है
कहूँ,
कि
हाँ
मैंने
तुम्हें देखा है,
हाँ
मैं ने तुम्हें देखा है,
हाँ
मैं ने तुम्हें देखा है
कैसे
कहूँ,
कह
नहीं सकता,
क्यों
गंधमादन रोज दस्तक
देता है
1.कैसे कहूँ, कह नहीं सकता, क्यों गंधमादन रोज दस्तक देता है pdf
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