इस गूंगी मुस्कान का क्या करे कोई
और कटी जुबान का क्या करे कोई
लटपटाते बयान का क्या करे कोई
मचलते हिंदुस्तान का क्या करे कोई
ढहते हुए मकान का क्या करे कोई
जी गुर्राते संविधान का क्या करे कोई
दिल-ए-नाबदान का क्या करे कोई
प्रफुल्ल कोलख्यान का क्या करे कोई
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