रोशनी की नदी का सोहर
रोशनी
की नदी का सोहर
एक छोटी-सी
डोंगी
जब टहलती है
नदी की धार पर
तब नदी के
भीतर से
फूटते हुए
आधे सूरज की उजास
लहलहाती हुई
सरसराते धन खेत की तरह
गीत गाती है
एक नदी
रोशनी की
बहनी शुरू होती है
जब धरती
धेनुआर की तरह
पिन्हाती है
रोशनी की नदी
सोहर गाती है
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