डरा हुआ इंसान



डरा हुआ इंसान
मैं बहुत नजदीक से
और गौर से देखता हूँ

देखता हूँ और सोचता हूँ

क्या यह वही है
जो सबसे पहले जागता है
गमछे को भविष्य के परचम की तरह
लहराकर काँधे पर डाले हुए
हाथ-पैर की पूरी सक्रिय सभ्यता के साथ

लेकिन अफसोस
जिसके लिए सूरज
चूल्हे में झोंके गये
सूखे पत्तों की
धधकती बेचैन
नंगी आँच-सा होता है

और रात.....
और दिन....
धा हुआ तवा

जिसकी झुर्रियाँ बताती है
यह तबेले की
झोलंगी खाट में धँसा
योजनाओं के भँवर में फँसा
बेचारगी की सरहद पर
डरा हुआ इंसान है

जिसके संदर्भ में
सारे अर्थ व्यर्थ हो गये हैं

फिर भी अर्थ तंत्र का
तकिया कलाम है

आप चलेंगे?
चलेंगे गाँव!

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