प्रफुल्ल कोलख्यान Prafulla Kolkhyan
हाँ सच ने मुझे बहुत सँवारा है
तेरे झूठ ने भी तो दुलराया है
जिंदगी बस खालिस तमन्ना है
जब आँख कुछ छलछलाया है
एक तेरे ही ख्याल में, डूबकर
मैं ने ओढ़ी जब भी चादर तो
चाँद मेरे पहलू में, उग आया
इस हँसी ने कम ही रुलाया है
आँसू से तर रुमाल लहराया है
देख रूठे चाँद का रौब भाया है
मन लहका! किसने भरमाया है
मेरे वजूद पर, तेरा ही साया है
खुशियों ने दी जब कभी, दस्तक
चुप से, अपने गम को बुलाया है
कुछ इस तरह काम निपटाया है
जी हम ने इश्क भी, फरमाया है
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हाँ सच ने मुझे बहुत सँवारा है
तेरे झूठ ने भी तो दुलराया है
जिंदगी बस खालिस तमन्ना है
जब आँख कुछ छलछलाया है
एक तेरे ही ख्याल में, डूबकर
मैं ने ओढ़ी जब भी चादर तो
चाँद मेरे पहलू में, उग आया
इस हँसी ने कम ही रुलाया है
आँसू से तर रुमाल लहराया है
देख रूठे चाँद का रौब भाया है
मन लहका! किसने भरमाया है
मेरे वजूद पर, तेरा ही साया है
खुशियों ने दी जब कभी, दस्तक
चुप से, अपने गम को बुलाया है
कुछ इस तरह काम निपटाया है
जी हम ने इश्क भी, फरमाया है
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