कित पायेगा ठौर

कित पायेगा ठौर

सुन ले आप मते कुछ और है, साहेब के कुछ और,
सम्हल, सम्हल रे मन बौराहा, कित पायेगा ठौर।

कोई आये, कोई जाये पर कठिन बहत यह दौर,
मुश्किल बना रहेगा हाँ, जाना मुँह में पूरा कौर।

सीख रहा, बड़े जतन से करना हालात पर गौर,
अंधियारे में हासिल हो कैसे अँजुरी भर अंजोर।

हाथ में आकर कोमल होंगे, हैं जो कठिन कठोर,
हाँ, पर सावधान, है घातक उसका क्रूर नछोर।

सुन ले आप मते कुछ और है, साहेब के कुछ और,
सम्हल, सम्हल रे मन बौराहा, कित पायेगा ठौर।

कोई टिप्पणी नहीं: