एक पवित्र नदी पर पुल
पुल के पाये के पास बाजार
बाजार में जाकर मैंने जाना
सड़े हुए फूल भी महकते हैं
विष्ठा की तरह महकते हैं
एक बड़ा आदमी
बड़ा आदमी का घर
घर की दीवार
दीवार पर बुद्ध!
दीवार का इशारा था
चुप रहो
कसाई के घर भी
बुद्ध चहकते हैं
मैंने दीवार का इशारा माना
चुप हूँ और चुप्पी में माना
माना कि
फूल महकते हैं इस तरह भी
माना कि
बुद्ध चहकते हैं इस तरह भी
माना कि चुप रहते हैं
हम इस तरह भी!
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