जय हिंद

स्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनाएँ
चिंता और चिंतन की उभरती रेखाएँ

---

15 अगस्त 2023

बदलती हुई वैश्विक परिस्थिति में लोकतंत्र के भविष्य के बारे में गहरी चिंता व्यक्त की जा रही है। यह ठीक है दुनिया के कब से बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत को याद किया जाता है। तमामतर कठिनाइयों से जूझते हुए भारत अपने लोकतंत्र को टिकाये रखने में कामयाब रहा है। लेकिन, इन कठिनाइयों से उपजे सवालों पर हम भावुक हो जाते हैं, यह स्वाभाविक भी है। भावुकता की आड़ में कठिनाइयों और चुनौतियों से मुहँ चुराने या अनजान बने रहने की कोई भी कोशिश स्वाभाविक नहीं हो सकती है -- न वैश्विक परिप्रेक्ष्य में न राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में। लोकतंत्र सिर्फ भावुकता नहीं, ठोस यथार्थ है, वायवीय या अमूर्त्त नहीं, मूर्त्त है, निराकार नहीं, साकार सत्य है।

असल में यह चिंता भविष्य में लोकतंत्र के बनते बिगड़ते स्वरूप को लेकर है। भविष्य में लोकतंत्र का क्या होगा, उसका कौन-सा स्वरूप दुनिया के सामने प्रकट होगा? क्या लोकतंत्र का सवाल एक नैतिक सवाल है? क्या लोकतंत्र मानव संवेदनशीलता और मानवाधिकार का सवाल है? क्या लोकतंत्र का सवाल राजनीतिक सवाल है? क्या लोकतंत्र का सवाल सामाजिक सवाल है? क्या लोकतंत्र सभ्यता का सवाल है? क्या लोकतंत्र का सवाल जीवन का सवाल है? क्या लोकतंत्र का सवाल विकास का सवाल है? क्या ये लोकतंत्र के सम्मलित और समावेशी सवाल नहीं हैं? लोकतंत्र के सवाल नहीं हैं तो फिर किस तंत्र के सवाल हैं? ऐसे बहुत सारे सवाल हमारे अंदर उमर-घुमड़ रहे हैं। ऐसे सवालों के नागरिक जवाब तलाशने की सतत कोशिश जीवन के प्रतयेक संदर्भ में जारी रहनी चाहिए, लोकतंत्र की गुणवत्ता जीवन की गुणवत्ता से भिन्न नहीं है। जागरुक नागरिकता की गुणवत्ता ही वह बुनियाद है जिस में लोकतंत्र और जीवन की वृद्धिशील गुणवत्ता का रहस्य सुरक्षित रहता है। फिर एक बार, बार-बार, स्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनाएँ और हमें अक्षुण्ण स्वतंत्रता एवं सुरक्षित लोकतंत्र प्रदान करने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करनेवाले अपने महान पुरखों और उनकी पीढ़ियों के तमाम बुजुर्गों का कृतज्ञ स्मरण।

जय हिंद

 

कोई टिप्पणी नहीं: