देश भक्ति है कि महज फुटानी है
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जी हाँ, मछली की आँख को ठीक-ठीक पता है
जिस में उसको छोड़ा गया तेल है कि पानी है
मुस्कान में नाचती आँख को ठीक-ठीक पता है
अदा तेरी कोई शरारत है या महज नादानी है
अपठित किताब के पन्नों को ठीक-ठीक पता है
इस आँख में उबलती तलाश कितनी रुहानी है
पूनम रात की खामोशी को ठीक-ठीक पता है
पोर-पोर में दहाड़ता दर्द कितना जिस्मानी है
लचकते फूलों की खुशबू को ठीक-ठीक पता है
ये उड़ा ले जाती है हवा जो कितनी तूफानी है
भूख से मरियल जिंदगी को ठीक-ठीक पता है
दहाड़ती हुई देश भक्ति है कि महज फुटानी है
जी हाँ, मछली की आँख को ठीक-ठीक पता है
जिस में उसको छोड़ा गया तेल है कि पानी है
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