▬▬▬▬▬▬
मैं देखता हूँ और सोचता हूँ
मैं सोचता हूँ और देखता हूँ
मैं चाँद से लिए गये
धरती के चित्र देखता हूँ
मैं देखता हूँ और सोचता हूँ
गिद्धों की नजर में धरती क्या है
मैं गिद्ध-दृष्टि से धरती को जानना
चाहता हूँ
ताकि जाना जा सके, पहले इसके कि
गिद्धों की मंडली टूट पड़े धरती पर
बचाव में क्या कुछ किया जा सकता है
मैं पूरी-की-पूरी धरती को
आँखों में समा लेना चाहता हूँ
सुना है, मरने के बाद भी आँख बोलती है
मैं चाँद से लिए गये
धरती के चित्र देखता हूँ
मैं देखता हूँ और सोचता हूँ
मैं सोचता हूँ और देखता हूँ
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें