साभार, राही मासूम रज़ाः संदर्भ 'आधा गाँव'
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यह असंभव नहीं है कि अगर अब भी इस क़िले की पुरानी दीवार पर कोई आ बैठे और अपनी आँखें बंद कर ले तो उस पार के गाँव और मैदान और खेत घने जंगलों में बदल जायँ और तपोवन में ऋषियों की कुटियाँ दिखायी देने लगें। और वह देखे कि अयोध्या के दो राजकुमार कँधे से कमान लटकाये तपोवन के पवित्र सन्नाटे की रक्षा कर रहे हैं।
लेकिन इन दीवारों पर कोई बैठता ही नहीं। क्योंकि जब इस तरह बैठने की उम्र आती है तो गज भर की छातियोंवाले बेरोजगारी के कोल्हू में जोत दिये जाते हैं कि वे अपने सपनों का तेल निकालें और उस जहर को पीकर चुपचाप मर जायँ।
लगा झूलनी का धक्का
बलम कलकत्ता चले गये।
कलकत्ता की चटकलों में इस शहर के सपने सन के ताने-बाने में बुनकर दिसावर भेज दिये जाते हैं और फिर सिर्फ ख़ाली आँखें रह जाती हैं और वीरान दिल रह जाते हैं और थके हुए बदन रह जाते हैं, जो किसी अँधेरी-सी कोठरी में पड़े रहते हैं और पगडंडियों, कच्चे-पक्के तालाबों, दान, जौ और मटर के खेतों को याद करते रहते हैं।
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यह असंभव नहीं है कि अगर अब भी इस क़िले की पुरानी दीवार पर कोई आ बैठे और अपनी आँखें बंद कर ले तो उस पार के गाँव और मैदान और खेत घने जंगलों में बदल जायँ और तपोवन में ऋषियों की कुटियाँ दिखायी देने लगें। और वह देखे कि अयोध्या के दो राजकुमार कँधे से कमान लटकाये तपोवन के पवित्र सन्नाटे की रक्षा कर रहे हैं।
लेकिन इन दीवारों पर कोई बैठता ही नहीं। क्योंकि जब इस तरह बैठने की उम्र आती है तो गज भर की छातियोंवाले बेरोजगारी के कोल्हू में जोत दिये जाते हैं कि वे अपने सपनों का तेल निकालें और उस जहर को पीकर चुपचाप मर जायँ।
लगा झूलनी का धक्का
बलम कलकत्ता चले गये।
कलकत्ता की चटकलों में इस शहर के सपने सन के ताने-बाने में बुनकर दिसावर भेज दिये जाते हैं और फिर सिर्फ ख़ाली आँखें रह जाती हैं और वीरान दिल रह जाते हैं और थके हुए बदन रह जाते हैं, जो किसी अँधेरी-सी कोठरी में पड़े रहते हैं और पगडंडियों, कच्चे-पक्के तालाबों, दान, जौ और मटर के खेतों को याद करते रहते हैं।
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क़िला क्या है? और पुरानी दीवार! क़िले की पुरानी दीवार पर किसी के आ बैठने और आँखें बंद कर लेने का क्या अर्थ है? उस पार के गाँव और मैदान और खेत के घने जंगलों में बदल जाने और तपोवन में ऋषियों की कुटियाँ दिखायी देने लगने में क्या संकेत किये गये हैं? पवित्र सन्नाटे का क्या अर्थ है और उसकी रक्षा की जरूरत का आशय क्या है?
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आप अपनी टिप्पणी , बेनामी ही सही परंतु ,दर्ज करें, मदद होगी....
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Ravi Shankar Pandey, Kumar Sankalp और 2 और को यह पसंद है.
Javed Usmani जीवन मृत्यु बंधन की सत्यता के ज्ञान और उसकी नैतिक रखवाली के पश्चात भी वैचारिक शुन्यता के फलस्वरूप उपार्जित भटकाव के चलते
सुखद स्वप्न मात्र कल्पनाओं तक ही सीमित है
9 घंटे पहले · पसंद
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Javed Usmani जीवन मृत्यु बंधन की सत्यता के ज्ञान और उसकी नैतिक रखवाली के पश्चात भी वैचारिक शुन्यता के फलस्वरूप उपार्जित भटकाव के चलते
सुखद स्वप्न मात्र कल्पनाओं तक ही सीमित है
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