प्रफुल्ल कोलख्यान Prafulla Kolkhyan
माँ धधकती है
माँ धधकती है
धुआँती हुई
लकड़ी को फूँकती है
माँ धधकती है
बहते हुए आँसू
आग में पलकर
लाल लोहे की तरह
चमकते हैं
सिग्नल की जगह
मगन
नाचते हैं बच्चे
जुगनुओं के संग
फूली
नहीं समाती है रोटी
यकीनन
दुनिया के
सबसे बड़े
मनोरंजन का
नाम है रोटी
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