क्या गजब की बात है
क्या गजब की बात है, कि जब नजदीकियाँ महसूस की, दूरियाँ बढ़ गई।
क्या गजब की बात है, जब मुस्कुराने का वक्त आया, सिसकियाँ बढ़ गई।
क्या गजब की बात है इधर अंधेरा छा गया जब उधर रोशनियाँ बढ़ गई।
क्या गजब की बात है, कि इधर, हुए सुर्खरू तुम और नादानियाँ बढ़ गई।
क्या गजब की बात है, उधर भीड़ उमड़ती गई, इधर वीरानियाँ बढ़ गई।
क्या गजब की बात है, कि कहने का शउर आया तो लफ्फाजियाँ बढ़ गई।
क्या गजब की बात है, कि जब नजदीकियाँ महसूस की, दूरियाँ बढ़ गई।
क्या गजब की बात है, जब मुस्कुराने का वक्त आया, सिसकियाँ बढ़ गई।
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