विचार और संवेदना का साझापन
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पढ़ने की कला
प्रफुल्ल कोलख्यान
4 जुलाई
लिखने के लिए ही नहीं, पढ़ने के लिए भी कला-कौशल अपेक्षित होता है और थोड़ा-सा विज्ञान भी!
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Shardendu Mishra
,
Ramesh Upadhyaya
,
सिद्धार्थ प्रताप
और
43 अन्य
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Yudhisthir Haldar
sahi
4 जुलाई पर 08:27 अपराह्न
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Haridev MP
विज्ञान भी कि अंधकार में न भटकें इस भौतिक जगत में ।
4 जुलाई पर 09:20 अपराह्न
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Javed Usmani
सही कहना है क्योकि ,पढ़ना बुनियाद है, लिखना उस पर तामीर किया जाने वाला शाहकार है ,नींव की मज़बूती तामीर की पुख्तगी के लिए अहम है
4 जुलाई पर 09:39 अपराह्न
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K C Babbar Babbar
पठन में व्जेयानिकता जरूरी है
5 जुलाई पर 10:27 पूर्वाह्न
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Neer Gulati
एक अच्छा लेखक होने के लिए एक अच्छा पाठक होना जरूरी है. यह तो समझ में आ गया लेकिन यह थोड़ा सा विज्ञानं क्या है. चिंतन के मूल रूप तीन हैं साहित्यक, इतिहास और दर्शन. इसलिए यह आप पर निर्भर करता है की आप का अनुशासन क्या है.
5 जुलाई पर 10:53 पूर्वाह्न
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प्रफुल्ल कोलख्यान
Neer Gulati
संबंधित विषय का थोड़ा-सा विशिष्ट ज्ञान। विज्ञान में भी कला का महत्त्व है और कला में भी विज्ञान का। आप इस बात की पुष्टि अपने स्रोत से करें कि 'कल' का संबंधित अर्थ है, हिसाब ▬ कलन, आकलन, संकलन ही नहीं कैलकुलस तक पर विचार किया जा सकता है और कल्पना का भी इस 'कल' से संबंध है... खैर.. प्रश्न के लिए आभार...
5 जुलाई पर 11:42 पूर्वाह्न
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Neer Gulati
विज्ञानं शब्द को विवध अर्थों में लिया जाता हैं. लेकिन इसका का मुख्य अर्थ किसे व्यवस्थित और तार्किक चिंतन हैं. इसलिए विज्ञानं का तर्क का इतिहास भी कहा जाता हैं. जहाँ तक कला की बात है यह इसका संबंध कल्पना शीलता से हैं. मानव मस्तिष्क में दो मुख्य गुण कल्प
...
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5 जुलाई पर 11:49 पूर्वाह्न
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प्रफुल्ल कोलख्यान
Neer Gulati
जरा धीरज से इस पर विचार कीजिये जरूरी हो तो पता कीजिये...
5 जुलाई पर 11:51 पूर्वाह्न
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Ramesh Upadhyaya
थोडा-सा पढ़ने के आनंद का अनुभव भी.
5 जुलाई पर 10:17 अपराह्न
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